केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिलेगा 18 महीने का बकाया एरियर, जानें नया अपडेट 7th Pay Commission Update

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 7th Pay Commission Update: केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान 18 महीने का महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) रोक दिया था, जिससे एक करोड़ से अधिक कर्मचारी और पेंशनधारक प्रभावित हुए। इस फैसले के बाद से, विभिन्न संगठनों द्वारा बकाया भत्ते की मांग लगातार की जा रही है।

जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी फॉर सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज की नेशनल काउंसिल के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर कर्मचारियों और पेंशनधारकों को 18 महीने का बकाया डीए और डीआर देने का आग्रह किया है। इसी तरह, भारतीय प्रतिक्षा मजदूर संघ के सचिव मुकेश सिंह ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर देश की बेहतर होती आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए बकाया भत्ते की मांग की है।

हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि कोरोना महामारी से वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था और ऐसी स्थिति में डीए और डीआर का बकाया देना व्यावहारिक नहीं है।

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महंगाई भत्ता (डीए) केंद्र सरकार के कर्मचारियों को साल में दो बार, जनवरी और जुलाई में, दिया जाता है। इसकी गणना मूल वेतन के आधार पर की जाती है और यह कर्मचारियों को उनके रहने के खर्च में सहायता करने के लिए दिया जाता है। यदि केंद्र सरकार बकाया भत्ते के भुगतान पर सहमत होती है, तो केंद्रीय कर्मचारियों को लगभग 2 लाख रुपये तक का लाभ मिल सकता है।

वेतन स्तर के अनुसार, लाभ की राशि अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, लेवल 1 के कर्मचारियों को 11,880 रुपये से 37,554 रुपये तक का एरियर मिल सकता है। वहीं लेवल 13 के कर्मचारियों को 1,23,100 रुपये से 2,15,900 रुपये तक और लेवल 14 के कर्मचारियों को 1,44,200 रुपये से 2,18,200 रुपये तक का लाभ हो सकता है।

बकाया भत्ते के भुगतान का आर्थिक प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है। यह करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनधारकों की क्रय शक्ति बढ़ा सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है। हालांकि, सरकार वित्तीय बोझ और कर्मचारी कल्याण के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है।

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भविष्य में, आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ बकाया भुगतान की संभावना बढ़ सकती है। सरकार चरणबद्ध तरीके से भुगतान की योजना भी बना सकती है, जिससे वित्तीय बोझ कम हो सके। फिलहाल, यह मुद्दा केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है, और आने वाले समय में इस पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

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